Sunday, October 30, 2011

शरारत

जब वो रूठी ये बोली हम से
हर ग़म मैंने पाया तेरे मिलन से


जब वो रूठी ये बोली हम से 
हर एक को छोड़ा तेरे कहन से 


मैं थी पागल तेरे ही प्यार में 
मैं थी घायल तेरे ही ख्याल में 

क्या क्या मैंने चाहा और क्या सोचा 
क्या क्या मैंने खोया और क्या पाया 


फिर मुझको घूरा और पूछा 
क्या जी अब चुप, क्या कोई जवाब 

मैंने उसको देखा ऐसे मुस्कान से 
जैसे मैंने देखा कोई बाला की खेल 


फिर वो टूटी और क्या क्या टुटा 
फिर वो टूटी और क्या क्या टुटा 


मैंने उसको देखा ऐसे मुस्कान से 
जैसे मैंने देखा कोई बाला की खेल 


वो रो रोकर आई मेरे सामने 
धीरे धीरे मारा मेरे सिने में 


मैंने उसको देखा ऐसे मुस्कान से 
जैसे मैंने देखा कोई बाला की खेल 


मैंने उसको घेरा सारे प्यार से 
वो भी घेरी बिना ख्याल से 

फिर मैंने खेला उसकी बाल में 
और लेली मुंह की लाली 


तब वो झूटी ये बोली दिल से 
हर एक को छोडूं ऐसे यार पे 

मैं हूँ पागल तेरे ही प्यार में 
मैं हूँ घायल तेरे ही ख्याल में 



मैंने उसको देखा ऐसे मुस्कान से 
जैसे मैंने देखा कोई बाला की खेल 

मैंने उसको देखा ऐसे प्यार में 
जैसे मैंने पाया सारे खुशी संसार की 

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